Tuesday 6 March 2018

Self-confidence बढाने के 10 तरीके

हेलो दोस्तों 
          आज हम यहाँ आपको बताएंगे की ज़िन्दगी में सफल होने के लिए self-confidence कितना जरूरी है.आज तक जितने भी इंसान सफल हुए है,उनमे self-confidence की कोई भी कमी नहीं थी.फिर चाहे वो कोई cricketer हो या film star सबमे self confidence की कोई कमी नहीं थी.self confidence एक ऐसा गूढ़ है जो हर आम इंसान में होता,लेकिन उस confidence को वो इंसान किस तरह use करता है ये उसके ऊपर dipend करता है.पर ज़रुरत इस बात की है कि अपने present level of confidence को बढ़ा कर एक नए और बेहतर level तक ले जाया जाये । और आज SST(shivam sagar thinking) पर मैं आपके साथ कुछ ऐसी ही बातें share करूँगा जो आपके self confidence को बढाने में मददगार हो सकती हैं


1) अपनी Dressing improve कीजिये:


आप किस तरह से dress-up होते हैं इसका असर आपके confidence पर जरूर पड़ता है । ये बता दूँ कि यहाँ मैं अपने जैसे आम लोगों की बात कर रहा हूँ ,Dr. B.R Ambedkar और Dr. A.P.J Abdul kalam जैसे महापुरुषों का इससे कोई लेना देना नहीं है ,और यदि आप इस category में आते हैं तो आपका भी:)।

मैंने खुद इस बात को feel किया है , जब मैं अपनी best attire में होता हूँ तो automatically मेरा confidence बढ़ जाता है, इसीलिए जब कभी कोई presentation या interview होता है तो मैं बहुत अच्छे से तैयार होता हूँ । दरअसल अच्छा दिखना आपको लोगों को face करने का confidence देता है और उसके उलट poorly dress up होने पे आप बहुत conscious रहते हैं ।

2) आप वो करिए जो confident लोग करते हैं:

आपको अपने आस -पास ऐसे लोग ज़रूर दिखेंगे जिन्हें देखकर आपको लगता होगा कि ये व्यक्ति बहुत confident है । आप ऐसे लोगों को ध्यान से देखिये और उनकी कुछ activities को अपनी life में implement करिए । For example:
  • Front seat पर बैठिये ।
  • उन् लोगो से बात कीजिये जिनसे बात करने में आप खुद hesitate feel करते है.
  • Class में , seminars में , और अन्य मौके पर Questions पूछिए / Answers दीजिये
  • अपने चलने और बैठने के ढंग पर ध्यान दीजिये
  • अपने teacher या boss से अपने confusen दूर कीजिये।
  • दबी हुई आवाज़ में मत बोलिए ।
  • लड़कियों से बात करने की कोसिस कीजिये।
  • Eye contact कीजिये , नज़रे मत चुराइए।

3) अधिकतर लोगो से बेहतर बनने की कोशिश कीजिये :


ये बात तो हर कोई मानता है की हरेक field में कोई भी expert नहीं बन सकता है, लेकिन वो अपने interest के हिसाब से एक -दो areas चुन सकता है जिसमे वो औरों से बेहतर बन सकता है ।जिन field में वो और लोगो से ज्यादा confident होते है.जब मैं School में था तो बहुत से students मुझसे पढाई और अन्य चीजों में अच्छे थे ,पर मैं physics में class में सबसे अच्छा था (thanks to my dear pankaj sir :)), और इसी वजह से मैं बहुत confident feel करता था।अगर आप किसी एक चीज में महारथ हांसिल कर लेंगे तो वो आपको in-general confident बना देगा । बस आपको अपने interest के हिसाब से कोई चीज चुननी होगी और उसमे अपने circle में best बनना होगा, आपका circle आप पर depend करता है , वो आपका school, college, आपकी colony या आपका शहर हो सकता है।

आप कोई भी field चुन सकते हैं, वो कोई art हो सकती है , music, dancing, etc कोई खेल हो सकता है , कोई subject हो सकता है या कुछ और जिसमे आपकी expertise आपको भीड़ से अलग कर सके और आपकी एक special जगह बना सके । ये इतना मुश्किल नहीं है , आप already किसी ना किसी चीज में बहुतों से बेहतर होंगे , बस थोडा और मेहनत कर के उसमे expert बन जाइये, इसमें थोडा वक़्त तो लगेगा , लेकिन जब आप ये कर लेंगे तो सभी आपकी respect करेंगे और आप कहीं अधिक confident feel करेंगे ।

और जो व्यक्ति किसी क्षेत्र में special बन जाता है उसे और क्षेत्रों में कम knowledge होने की चिंता नहीं होती, आप ही सोचिये क्या कभी सचिन तेंदुलकर इस बात से परेशान होते होंगे कि उन्होंने ज्यादा पढाई नहीं की …कभी नहीं !


4) अपने achievements को याद करिए:


आपकी past achievements आपको confident feel करने में help करेंगी। ये छोटी -बड़ी कोई भी achievements हो सकती हैं । For example: आप कभी class में first आये हों , किसी subject में school top किया हो , singing completion या sports में कोई जीत हासिल की हो, कोई बड़ा target achieve किया हो , employee of the month रहे हों । कोई भी ऐसी चीज जो आपको अच्छा feel कराये ।

आप इन achievements को dairy में लिख सकते हैं, और इन्हें कभी भी देख सकते हैं, ख़ास तौर पे तब जब आप अपना confidence boost करना चाहते हैं । इससे भी अच्छा तरीका है कि आप इन achievements से related कुछ images अपने दिमाग में बना लें और उन्हें जोड़कर एक छोटी सी movie बना लें और समय समय पर इस अपने दिमाग में play करते रहे । Definitely ये आपके confidence को boost करने में मदद करेगा ।


5) Visualize करिए कि आप confident हैं:


आपकी प्रबल सोच हकीकतबनने का रास्ता खोज लेती है , इसलिए आप हर रोज़ खुद को एक confident person के रूप में सोचिये । आप कोई भी कल्पना कर सकते हैं , जैसे कि आप किसी stage पर खड़े होकर हजारों लोगों के सामने कोई भाषण दे रहे हैं , या किसी seminar hall में कोई शानदार presentation दे रहे हैं , और सभी लोग आपसे काफी प्रभावित हैं , आपकी हर तरफ तारीफ हो रही है और लोग तालियाँ बजा कर आपका अभिवादन कर रहे हैं । Albert Einstein ने भी imagination को knowledge से अधिक powerful बताया है ; और आप इस power का use कर के बड़े से बड़ा काम कर सकते हैं।


6) गलतियाँ करने से मत डरिये:


क्या आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हो जिसने कभी गलती ना की हो? नहीं जानते होंगे , क्योंकि गलतियाँ करना मनुष्य का स्वभाव है , और मैं कहूँगा कि जन्मसिद्ध अधिकार भी । आप अपने इस अधिकार का प्रयोग करिए। गलती करना गलत नहीं है, उसे दोहराना गलत है । जब तक आप एक ही गलती बार -बार नहीं दोहराते तब तक दरअसल आप गलती करते ही नहीं आप तो एक प्रयास करते हैं और इससे होने वाले experience से कुछ ना कुछ सीखते हैं ।

दोस्तों कई बार हमारे अन्दर वो सब कुछ होता है जो हमें किसी काम को करने के लिए होना चाहिए , पर फिर भी failure के डर से हम confidently उस काम को नहीं कर पाते । आप गलतियों के डर से डरिये मत, डरना तो उन्हें चाहिए जिनमे इस भय के कारण प्रयास करने की भी हिम्मत ना हो !! आप जितने भी सफल लोगों का इतिहास उठा कर देख लीजिये उनकी सफलता की चका-चौंध में बहुत सारी असफलताएं भी छुपी होंगी ।

Michel Jordan, जो दुनिया के अब तक के सर्वश्रेष्ठ basketball player माने जाते हैं; उनका कहना भी है कि –

मैं अपनी जिंदगी में बार-बार असफल हुआ हूँ और इसीलिए मैं सफल होता हूँ।


आप कुछ करने से हिचकिचाइए मत चाहे वो खड़े हो कर कोई सवाल करना हो , या फिर कई लोगों के सामने अपनी बात रखनी हो , आपकी जरा सी हिम्मत आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा सकती है । सचमुच डर के आगे जीत है!

7) Low confidence के लिए अंग्रेजी ना जानने का excuse मत दीजिये:


हमारे देश में अंग्रेजी का वर्चस्व है । मैं भी अंग्रेजी का ज्ञान आवश्यक मानता हूँ ,पर सिर्फ इसलिए क्योंकि इसके ज्ञान से आप कई अच्छी पुस्तकें , ब्लॉग , etc पढ़ सकते हैं , आप एक से बढ़कर एक programs, movies, इत्यादि देख सकते हैं । पर क्या इस भाषा का ज्ञान confident होने के लिए आवश्यक है? नहीं । English जानना आपको और भी confident बना सकता है पर ये confident होने के लिए ज़रूरी नहीं है । किसी भी भाषा का मकसद शब्दों में अपने विचारों को व्यक्त करना होता है,और अगर आप यही काम किसी और भाषा में कर सकते हैं तो आपके लिए अंग्रेजी जानने की बाध्यता नहीं है।

दोस्तों, कुछ जगहों पर जैसे कि job-interview में अंग्रेजी का ज्ञान आपके चयन के लिए ज़रूरी हो सकता है, पर confidence के लिए नहीं , आप बिना English जाने भी दुनिया के सबसे confident व्यक्ति बन सकते हैं ।


8) जो चीज आपका आत्मविश्वास घटाती हो उसे बार-बार कीजिये:


कुछ लोग किसी ख़ास वजह से confident नहीं feel करते हैं । जैसे कि कुछ लोगों में stage-fear होता है तो कोई opposite sex के सामने nervous हो जाता है । यदि आप भी ऐसे किसी challenge को face कर रहे हैं तो इसे beat करिए । और beat करने का सबसे अच्छा तरीका है कि जो activity आपको nervous करती है उसे इतनी बार कीजिये कि वो आपकी ताकत बन जाये । यकीन जानिए आपके इस प्रयास को भले ही शुरू में कुछ लोग lightly लें और शायद मज़ाक भी उडाएं पर जब आप लगातार अपने efforts में लगे रहेंगे तो वही लोग एक दिन आपके लिए खड़े होकर ताली बजायेंगे ।

गाँधी जी की कही एक line मुझे हमेशा से बहुत प्रेरित करती रही है “पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।” तो आप भी उन्हें ignore करने दीजिये , हंसने दीजिये , लड़ने दीजिये, पर अंत में आप जीत जाइये । क्योंकि आप जीतने के लिए ही यहाँ हैं , हारने के लिए नहीं ।


9) विशेष मौकों पर विशेष तैयारी कीजिये:


जब कभी आपके सामने खुद को prove करने का मौका हो तो उसका पूरा फायदा उठाइए । For example: आप किसी debate, quiz , dancing या singing competition में हिस्सा ले रहे हों , कोई test या exam दे रहे हो ,या आप कोई presentation दे रहे हों , या कोई program organize कर रहे हों । ऐसे हर एक मौके के लिए जी -जान से जुट जाइये और बस ये ensure करिए कि आपने तैयारी में कोई कमी नहीं रखी, अब result चाहे जो भी हो पर कोई आपकी preparation को लेकर आप पर ऊँगली ना उठा पाए।

Preparation और self-confidence directly proportional हैं । जितनी अच्छी तैयारी होगी उतना अच्छा आत्म -विश्वास होगा।और जब इस तैयारी की वजह से आप सफल होंगे तो ये जीत आपके life की success story में एक और chapter बन जाएगी जिसे आप बार -बार पलट के पढ़ सकते हैं और अपना confidence boost कर सकते हैं ।


10)Daily अपना MIT(Most Importanat Task) पूरा कीजिये:


यदि आप अपना daily का MIT पूरा करते रहेंगे तो निश्चित रूप से आपका आत्म -विश्वास कुछ ही दिनों में बढ़ जायेगा । आप जब भी अपना MIT पूरा करें तो उसे एक छोटे success के रूप में देखें और खुद को इस काम के लिए शाबाशी दें ।रोज़ रोज़ लगातार अपने important tasks को successfully पूरा करते रहना शायद अपने confidence को boost करने का सबसे कारगर तरीका है । आप इसे ज़रूर try कीजिये।

Friends, ये याद रखिये कि आपका confidence आपकी education, आपकी financial condition या आपके looks पर नहीं depend करता और आपकी इज़ाज़त के बिना कोई भी आपको inferior नहीं feel करा सकता। आपका आत्म-विश्वास आपकी सफलता के लिए बेहद आवश्यक है,और आज आपका confidence चाहे जिस level हो, अपने efforts से आप उसे नयी ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।


All the best! My All friends 

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Entrepreneur बनने के लिए क्या ज़रूरी है क्या नहीं ?



मुझे ऐसे कई लोग मिलते हैं जो अकसर कुछ अपना करने की बात करते हैं, औंट्राप्रेन्योर (उद्यमी ) बनने की बात करते हैं,कोई business setup करने की बात करते हैं….ये अच्छी बात है! पर दिक्कत ये है कि वो ये बात कई महीनो या सालों से करते आ रहे हैं पर reality में इस दिशा में उन्होंने कोई भी step नहीं लिया है.

जब मैं उनसे पूछता हूँ कि भाई तुम क्या करने की planning कर रहे हो और उसे कबसे शुरू करने वाले हो? तो मुझे कुछ ऐसे जवाब मिलते हैं :



1-अभी decide नहीं किया है , बैठ कर सोचते हैं इस पर….
2-सोच रहे हैं एक school डाल दें , या फिर पापड़- अचार का काम किया जाये….या…
3-एक काम सोचे तो हैं पर कोई partner नहीं मिल रहा है…
4-तुम्ही बताओ यार क्या किया जाये…

अधिकतर लोग उस काम को ही लेकर clear नहीं होते कि वो करना क्या चाहते हैं, तो कब से शुरू करने का प्रश्न ही नहीं उठता.

ऐसा क्यों होता है कि कई लोग entrepreneur या उद्यमी बनने के बारे में बात तो करते हैं पर इस सोच को implement नहीं कर पाते:


  • Entrepreneur बनने की बात को लेकर वो serious नहीं होते…शायद ऐसा कहना कि “मैं एक entrepreneur बनना चाहता हूँ” वो बस एक fashion statement की तरह use करते हैं और असल में उनके मन में ऐसा करने की कोई इच्छा नहीं होती.
  • वो ऐसा सोचते हैं कि मैं अभी इस काम के लिए तैयार नहीं हूँ , ” मुझे experience नहीं है”, “मेरे पास अभी उतने पैसे नहीं हैं”
  • Failure का डर. “कहीं मेरा plan fail हो गया तो…..” जब Failure का डर Success की ख़ुशी से अधिक होता है तो entrepreneur बन पाना मुश्किल है.
  • मौजूदा स्थिति का सही होना. यदि job में ही ठीक-ठाक पैसे मिल रहे हैं तो व्यक्ति सोच सकता है कि risk उठाने का क्या फायदा, और वो उसी में रमा रहता है.मैं job करने को बुरा नहीं मानता, यदि आप उसमे संतुष्ट हैं तो आपके लिए वही सही है.

Successful Entrepreneur बनने के लिए क्या जरूरी है:


  • कुछ अपना करने की इच्छा होना.
  • क्या करना है इस बात को लेकर mind में clarity होना.
  • अपनी idea में पूर्ण विश्वास होना. आप जो भी करने जा रहे हैं अगर उसको लेकर आपके मन में बहुत सारे doubts हैं तो आपका सफल होना मुश्किल है.
  • Failure के लिए तैयार रहना. हो सकता है आपका आईडिया क्लिक ना करे, ऐसे में इस सिर्फ एक सबक के रूप में लें, और नयी आईडि या के साथ जुट जाएँ.
  • Backup Plan ready रखना. हम सभी कि एक risk appetite होती है, जिसके आगे हम रिस्क नहीं उठा सकते. तो यदि आपका venture fail हो जाता है तो ऐसे में आप कैसे bounce back करेंगे , इसके लिए एक plan होना जरूरी है. मेरे विचार से यदि आप किसी जॉब में हैं और साथ ही आपके पास एक business idea है जिसमे आप desperately interested हैं तो job से resign करके अपना काम शुरू करने से बेहतर होगा कि आप इस side-business के रूप में शुरू करें या आप एक लम्बी छुट्टी लेकर इस आईडिया का pilot run करें.
  • Perseverance : अपने काम को लेकर दृढ रहे. बीच में कई बार ऐसा लग सकता है कि आप सफल नहीं हो पायेंगे, लेकिन ऐसे मौकों पर आपको खुद से positive talk करनी होगी, ज्यादातर entrepreneurs इसी qualityके ना होने की वजह से सफल नहीं हो पाते. वो कभी ये जान ही नहीं पाते कि अगर वो कुछ देर और हिम्मत नहीं हारते और टिक कर काम करते तो वो एक सफल व्यवसाई होते.
  • थोडा सा luck. पहले मैं luck को उतना importance नहीं देता था, पर मेरे कुछ ऐसे experience रहे हैं कि मुझे लगता है कि ये भी एक important factor है.


Entrepreneurship से सम्बंधित कुछ myths :


  • Entrepreneurs पैदा होते हैं बनाये नहीं जा सकते: ऐसा नहीं है. कोई भी कभी भी एक उद्यमी बन सकता है.
  • Entrepreneur बनने के लिए किसी innovative idea का होना जरूरी है: ऐसा बिलकुल नहीं है ,आप औरों द्वारा successfully implement किये गए ideas को उठा कर दुबारा अपने तरीके से implement करके भी एक सफल उद्यमी बन सकते हैं.
  • उद्यमी बनने के लिए experience का होना ज़रूरी है: ऐसा भी आवश्यक नहीं है. Suhas Gopinath, जिनकी success story मैंने इस ब्लॉग पर आपके साथ share की हुई है, इसका एक जीता जागता उदाहरण हैं कि छोटी सी उम्र में भी multi million dollar company खड़ी की जा सकती है.
  • Entrepreneur बनने के लिए किसी चीज को लेकर passionate होना जरूरी है: मेरे हिसाब से ऐसा जरूरी नहीं है, पर ऐसा जरूर है कि यदि आप passionate होंगे तो आपके business के successful होने के chances कई गुना बढ़ जायेंगे. for example हम सब जानते हैं कि Kapil Dev का passion cricket है पर वो एक सफल उद्यमी भी हैं, चंडीगढ़ में उनका hotel business है. जरूरत है अपने business में interest लेने की और उसमे efforts लगाने की ,पर यदि आप passionate भी हैं तो ये सोने पे सुहागा होने वाली बात है. Entrepreneur बनना एक logical decision है, जितना effort आप अपनी नौकरी में लगाते हैं उतना अगर अपने business में लगाएं तो शायद कहीं ज्यादा earn कर सकते हैं.
  • Entrepreneur बनने के लिए किसी तरह की पढाई-लिखाई या training होना आवश्यक है: ये भी आवश्यक नहीं है है. Shri Mahila Griha Udyog Lijjat Papad की स्थापना कुछ अनपढ़ महिलाओं द्वारा ही की गयी थी , और आज इसका turnover 650 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है.
  • अपना business शुरू करने से पहले सब कुछ perfectly planned होना चाहिए: ये भी एक मिथक है. कई लोग इसी चक्कर में on field कुछ करने के से पहले अपना सारा time on paper discussion करने में ही लगा देते हैं. जरूरत है कि कुछ आगे की planning करके अपना काम शुरू करने की, बाद में खुद बखुद रास्ते बनते जाते हैं.
  • Business करके रातों रात करोडपति बना जा सकता है: बिलकुल गलत. किसी व्यवसाय में सबसे पहले आपको value create करनी होती है.और फिर उसे sell करना होता है.और ये सब करने में कई साल भी लग सकते हैं. Business अमीर बनने का रास्ता है पर shortcut नहीं.

यदि आप भी एक entrepreneur बनना चाहते हैं या कभी भविष्य में ऐसा करने की इच्छा रखते हैं तो उम्मीद है ये लेख आप के लिए कुछ मददगार होगा.



निवेदन: यदि आपके पास भी entrepreneurship से सम्बंधित कुछ अच्छी बातें हैं तो comment के ज़रिये ज़रूर share करें.

Monday 5 March 2018

सक्सेस पानी है तो तोड़िए कम्फर्ट जोन की जंजीरें!


हेलो दोस्तों 
       एक कप चाय, मौसम के अनुरूप गर्म या ठंडा कमरा, आरामदेह बिस्तर और कानों में धीमा संगीत। क्या इससे बेहतर जिन्दगी हो सकती है। यकीनन आप का उत्तर होगा, “नहीं”।

अब एक मिनट ठहरिये और सोचिये… अगर हेमशा ऐसा ही रहे तो क्या इससे बद्तर जिंदगी हो सकती है। यकीनन इस बार भी आप का उत्तर होगा, “नहीं” । थोड़ी देर के लिए तो यह सब अच्छा लगता है। पर अगर ऐसे ही रहना पड़े तो यह बहुत दर्दनाक है। क्यों है ना ? हाँ, क्योंकि इस जिंदगी में कोई विकास नहीं है, कोई संभावना नहीं है, कोई ऐडवेंचर नहीं है।
याद है जब हम लोग बचपन में अपने मम्मी – पापा की अँगुली पकड़ कर मेला देखने जाते थे तो रोलर कोस्टर में चढने में बहुत मजा आता था। कभी ऊपर, बहुत ऊपर तो कभी नीचे बहुत नीचे। वो मजा जमीन पर एकसमान चलने में कहाँ। पर बड़े होते ही हम अपने को कटघरे में बंद करना शुरू कर देते हैं-

हमसे ये नहीं हो सकता, हमसे वो नहीं हो सकता। फिर मोनोटोनस जिन्दगी से ऊब कर खामखाँ में ईश्वर को दोष देते रहते हैं। उसने पड़ोसी को सब कुछ दिया है पर हमारे भाग्य में… ?

आपने ये कहावत सुनी होगी, “ऊपर वाला जब भी देता है छप्पर फाड़ कर देता है। ” लेकिन जरा सोचिये कि अगर आप का छप्पर ही छोटा हो तो बेचारे ईश्वर भी क्या कर पायेंगे। यहाँ छप्पर से मेरा तात्पर्य झोपड़ी या महल की छत से नहीं है बल्कि सोच से है। कहने का तात्पर्य यह है कि अगर आप छोटा सोचते हैं या किसी भी बदलाव से इंकार करते हैं तो आप जीवन में तरक्की नहीं कर पायेंगे।
कहा भी गया है कि “change is the only constant.. केवल परिवर्तन ही अपरिवर्तनशील है “।
फिर भी कई लोग बातें तो बड़ी -बड़ी करेंगें पर अपने जीवन में परिवर्तन जरा सा भी स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे लोग नयी परिस्तिथियों को स्वीकार न कर पाने की वजह से आने वाले हर मौके को गँवा देते हैं। फिर निराशा और अवसाद से घिर जाते हैं। कभी सोचा है, क्यों होता हैं ऐसा ? इसके पीछे बस एक ही कारण है उनका कम्फर्ट जोन।


क्या है ये कम्फर्ट जोन?

किसी भी इंसान का बदलाव को अस्वीकार करने का सीधा सा अर्थ है कि वो बने –बनाये ढर्रे में चलना चाहता है जिसे हम सामान्यत : कम्फर्ट जोन कहते हैं। हम इसमें जीने की इतनी आदत डाल लेते हैं कि उसके इतर कुछ सोचते ही नहीं। ये कम्फर्ट जोन, सीमित सोच का एक छोटा सा दायरा है जिसे हमने अपने चारों और खींचा हुआ है। इतने संकरे दायरे से हमारा यह लगाव, हमारे संकल्पों में डर की मिलावट कर देता है। हम इस दायरे से बाहर कुछ भी स्वीकार करने से डरते हैं।

वास्तव में देखा जाए तो कम्फर्ट जोन एक ख़ास मानसिक अवस्था है।हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इसमें इतनी बुरी तरह से जकड़े हुए होते हैं कि जब हम इसके अंदर रहते हैं तो हमें किसी एक्साइटमेंट का गहरा अनुभव नहीं होता ….न उत्साह, न जोश, न् जूनून, न ही प्रेम,न ही लगाव,न ही डर, न घबराहट,न दुःख, न सुख। सब कुछ यंत्रवत।

सुबह उठे ब्रश किया,नाश्ता किया ऑफिस गए,रुटीनल काम किया, घर आये खाना खाते हुए टी.वी देखा और सो गए। या यूं कहे जिंदगी एक ढर्रे में कटती है। इसलिए स्ट्रेस लेवल बहुत कम रहता है। क्योंकि जब भी हम कुछ नया सोचते हैं करना चाहते हैं या किसी उपरोक्त भावों में से किसी भाव को गहराई से फील करते हैं तो हमारा स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है।

कैसे बनती है ये कम्फर्ट जोन?

एक नन्हा सा बच्चा हमेशा कुछ नया करना चाहता है, हर काम अलग –अलग तरीके से करना चाहता है। तुरंत, माता –पिता टोकते हैं नहीं ऐसे नहीं करते। स्कूल जाता हैं टीचर टोकती हैं नहीं ऐसे नहीं करते। बड़े भाई-बहन बताते है उसकी क्या बात सही है क्या गलत है, यह सिलसिला पूरी जिंदगी चलता रहता है। बच्चा वही करने लगता है जो दूसरे कहते हैं क्योंकि उसके अन्दर से डर जाता है कि अगर वो, वो सब नहीं करेगा जो कहा जा रहा है तो समाज में सबसे अलग –थलग, अटपटा सा लगेगा, लोग उसका नकारात्मक मूल्याङ्कन करेंगे। उसे समा द्वारा अस्वीकार किये जाने का भय बैठ जाता है।

कभी –कभी पेरेंट्स और टीचर्स अपनी बात मनवाने के लिए बच्चे को मार कर, सजा देकर उस पर दवाब डालते हैं। धीरे –धीरे बच्चा सोसाइटी के बनाये हुए कानून पर चलने लगता है। कुछ हद तक यह सही भी है कि इस तरह वो एक समाज द्वारा स्वीकृत नागरिक बन जाता है। पर वही बच्चा बड़ा होकर समाज द्वारा अस्वीकृत होने के भय से कुछ भी नया करने से डरता है।

पापा ने कहा है डॉक्टर बनना है…. सो बनना है। भले ही मन आर्टिस्ट बनने का कर रहा हो। शादी मम्मी की पसंद से करनी है।भले ही अपने द्वारा पसंद की गयी लड़की/ लड़के को सारी उम्र के लिए भूलना पड़े।

बड़ी बेरहमी से दबा दी जाती है भावनाएं कुछ नया या अपनी इच्छा से कुछ करने की क्योंकि लोग क्या कहेंगे का भय मन पर हावी रहता है।

क्यों तोडें कम्फर्ट जोन?

क्योंकि तभी आप अपने असली मूल्य का पता लगा सकते हैं… क्योंकि तभी आप अपने अन्दर छिपी आपार सम्भावनाओं को पहचान सकते हैं। जरा सोचिये अगर एक नदी अपने आराम के लिए सिर्फ सीधी रेखा में चलती तो क्या वो कभी सागर तक पहुँच पाती? नहीं, इसीलिए वो जहाँ काट पाए पत्थर को काट देती है,जहाँ पत्थर नहीं कट सका वहाँ धारा की दिशा बदल देती है, कहीं जरूरत समझी तो थोड़ा सा उलटी दिशा में बह कर अनुकूल स्थान देख कर वापस सही दिशा ले लेती है। नदी हमें सीखाती है अपने कम्फर्ट जोन को तोड़कर हर परिस्तिथि में हर तरीके से आगे बढ़ना… अपने लक्ष्य तक पहुंचना।

कम्फर्ट जोन तोड़ने के फायदे

आप के काम की क्षमता बढ़ जाती है।
जीवन में जब कुछ अचानक से नया घट जाता है तो आप उस के साथ आप आसानी से अनुकूलन बिठा लेते हैं।
अगर आप भविष्य में कुछ नया करना चाहते हैं तो आसानी से कर सकते हैं।
आप अपनी रचनात्मकता को आसानी से बढ़ा सकते है।
सबसे ख़ास बात, आप जिंदगी काटते नहीं जीते हैं।
क्यों मुश्किल है कम्फर्ट ज़ोन तोडना : एक महत्वपूर्ण प्रयोग

कम्फर्ट जोन को लेकर एक बड़ा ही प्रसिद्द प्रयोग हुआ। उसमें पाया गया कि जब हम कम्फर्ट जोन में रहते हुए काम करते हैं तो हमारे तनाव का लेवल सामान्य रहता है। इसे मिनिमम एंग्जायटी लेवल भी कह सकते हैं। इसमें हम आराम से जीते हैं। अगर हम इससे बाहर निकलने के लिए स्ट्रेस का लेवल थोड़ा बढ़ा ले तो हमारी परफोर्मेंस में सुधार आता है। यह स्थान हमारे कम्फर्ट जोन के जस्ट बाहर होता है जिसे मैक्सिमम एंग्जायटी लेवल कहते हैं। यानी इतने स्ट्रेस को हमारा शरीर आसानी से बर्दाश्त कर सकता है। इसमें हमारी बेस्ट परफोरमेंस रहती है। इसके बाद अगर स्ट्रेस लेवल बढती है तो परफोर्मेंस कम होती जाती है। एक लेवल के बाद एंग्जायटी बढ़ने पर परफोर्मेंस जीरो हो जाती है।यहां समझने की बात ये है कि हर मनुष्य स्वभावतः जीरो स्ट्रेस लेवल में रहना चाहता है।

अगर आप स्ट्रेस लेवल थोड़ा बढ़ाएंगे तो परफोर्मेंस सुधरेगी व् परिणाम सकारात्मक आयेंगे। लेकिन अगर आप अचानक से स्ट्रेस लेवल ज्यादा बढ़ा देंगे तो परिणाम नकारात्मक आयेंगे। ज्यादातर लोगों के साथ यह होता है कि वो बहुत ऊँचे लक्ष्य बना कर एक साथ अपनी सारी ताकत झोक देते हैं पर इतना स्ट्रेस झेल नहीं पते हैं। फिर वो काम आधा ही छोड़ कर वापस कम्फर्ट जोन में आ जाते हैं। इसीलिए कम्फर्ट जोन तोड़ना बहुत मुश्किल होता है।

कैसे तोड़े कम्फर्ट जोन?


ऊपर के प्रयोग से स्पष्ट है कि अगर आपने जिंदगी को एक ख़ास तरीके से जीने की बहुत गंभीर आदत बना ली है तो इसका सीधा सादा अर्थ हुआ कि आप अपनी कम्फर्ट जोन में कैद हो गए हैं।अगर भाग्य ने करवट बदली और अचानक से आप को जिंदगी में कुछ नया कुछ बेहतर करने का अवसर मिला तो आप कर नहीं पायेंगे। आप का एंग्जायटी लेवल इतना बढ़ जाएगा कि आप स्ट्रेस बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे और वापस अपने कम्फर्ट जोन में आ जायेंगे।

ऐसे उदाहरण आपने देखे होंगे कि कई बार दूसरे शहर में नौकरी मिलने पर घर में पूरी तरह आराम से रहे बच्चे नौकरी छोड़ कर वापस आ जाते हैं, या मायके में नाजो पाली गयी लड़कियाँ ससुराल में काम का प्रेशर बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं। जीवन से अनुकूलन करने के लिए जरूरी
है आप अपनी कम्फर्ट जोन को एक्सटेंड करते रहें । कुछ तरीके हैं जिससे आप आसानी से अपनी कम्फर्ट जोन से बाहर आ सकते हैं। आइये देखते हैं इन्हें:


बढाएं छोटे –छोटे कदम:


जरूरत है बड़े काम को छोटे –छोटे टुकड़ों में बाँट कर धीरे –धीरे स्ट्रेस लेवल बढ़ाते हुए आगे बढ़ा जाए। इससे आप की कम्फर्ट जोन एक्सटेंड होती रहेगी। जैसे कि अगर आप को लोगो से बात करने में झिझक होती है तो पहली बार सिर्फ मिलने पर सिर्फ स्माइल के साथ हेलो कहे,अगली बार एक, दो लाइन की बात करे। कम्फर्ट जोन से बाहर आने के लिए जरूरी है आप अपने डर पहचाने और उन्हें दूर करने की दिशा में रोज़ एक –एक स्टेप बढ़ते जाए।

कभी-कभी चीजों को अलग ढंग से करें:

आप रोजाना के अपने कामों को अलग ढंग से करे। कई लोगो को अपनी तकिया की ही इतनी आदत हो जाती है कि उसके बिना उन्हें नींद नहीं आती है। इसलिए कभी–कभी दूसरे कमरे मे सोएं। अलग रास्ते से ऑफिस जाएं। उस दुकान से खरीदारी करिए जिससे आज तक नहीं की। एक हफ्ते कोई ख़ास चीज न खाने का प्रण कीजिये या कोई चीज अलग ढंग से बनाइये। धीरे–धीरे आप पाएंगे कि आप नयी परिस्तिथियों को अपनाने में ज्यादा दिक्कत महसूस नहीं करेंगे।

दो मिनट में निर्णय का नियम:


अगर आप परिस्तिथियों का बहुत देर तक आंकलन कर के निर्णय लेते हैं तो बहुधा आप निर्णय नहीं ले पाते। आपकी कम्फर्ट जोन आप को अनिर्णय की स्तिथि में छोड़ देती है और आप सफलता की दौड़ में पीछे रह जाते हैं। आज कौन सी सब्जी बनेगी… दो मिनट में सोचिये। दो शर्ट्स में से कौन सी ले दो मिनट में फैसला, कौन से नए रास्ते से जाए दो मिनट में निर्णय लीजिये। इससे आप 2 मिनट के अंदर सारी परिस्तिथि का आंकलन करेंगे और आपका दिमाग तेज –तेज चलेगा।

नयी–नयी जगहों का देखने जाइए:


पराया शहर,पराया देश पराये लोग जब आप किसी दूसरे शहर में घूमने जाते हैं तो आप को कई अनुकूलन करने पड़ते हैं जैसे मौसम से,आबोहवा से,खाने –पीने से। जब आप बार –बार दूसरे शहरों में जाते है तो आप की कम्फर्ट जोन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी होती है ऊपर से लौट कर आने पर आप ढेर सारे अनुभव ले कर आते हैं। यानी एक के साथ एक फ्री। है न मजेदार।

सीखिए कुछ नया:

दुनियाँ में इतना ज्ञान है, अगर रोज़ आप ऑफिस या घर के उन्ही –उन्ही कामों में सर खपाए रहेंगे तो कम्फर्ट जोन में कैद हो जायेंगे। कुछ नया सीखिए। नए विषयों की किताबें पढ़िए, नयी भाषा सीखिए, कार चलाना, फोटो ग्राफी कुछ भी पर हमेशा कुछ नया सीखते रहिये।फिर देखिये आपकी मोनोटोनस जिन्दगी का ट्रैक कैसे बदलता है।

तो क्या आप अपने कम्फर्ट जों की जंजीरें तोड़ने को तैयार हैं? क्या आप ग्रो करने और अपना पोटेंशियल रियलाइज़ करने के लिए रेडी हैं… तो क्यों न ये तोड़ – फोड़ आज ही से शुरू हो जाए!

धन्यवाद,

तीन कहानियाँ- जो बदल सकती हैं आपकी ज़िन्दगी !

मेरे प्यारे दोस्तों             पढ़िए iPod और iPhone बनाने वाली कंपनी Apple के founder Steve Jobs के जीवन की तीन कहानियां जो बदल सकती हैं...